Saini Sa'aB
K00l$@!n!
मन एकाकी आज
चहुँ ओर प्रकृति का आह्लाद
फिर क्यों मन एकाकी आज?
प्राची का अरुणिम विहान
नव किसलय का हरित वितान
रुनझुन-रुनझुन वायु के स्वर
नीड़-नीड़ में मुखरित गान
लहर-लहर बिम्बित उन्माद
फिर क्यों मन एकाकी आज?
बदली की रिमझिम फुहार
कोयल गाये मेघ मल्हार
तितली का सतरंगी आँचल
भँवरों की मीठी मनुहार
झरनों का कल-कल निनाद
फिर क्यों मन एकाकी आज?
अंजलि में भर लूँ अनुराग
त्यागूँ मन की पीर- विराग
किरणों की लड़ियों की माला
पहनूँ, गाऊँ जीवन-राग
छिपा कहीं वेदन-अवसाद
फिर भी मन एकाकी आज।
चहुँ ओर प्रकृति का आह्लाद
फिर क्यों मन एकाकी आज?
प्राची का अरुणिम विहान
नव किसलय का हरित वितान
रुनझुन-रुनझुन वायु के स्वर
नीड़-नीड़ में मुखरित गान
लहर-लहर बिम्बित उन्माद
फिर क्यों मन एकाकी आज?
बदली की रिमझिम फुहार
कोयल गाये मेघ मल्हार
तितली का सतरंगी आँचल
भँवरों की मीठी मनुहार
झरनों का कल-कल निनाद
फिर क्यों मन एकाकी आज?
अंजलि में भर लूँ अनुराग
त्यागूँ मन की पीर- विराग
किरणों की लड़ियों की माला
पहनूँ, गाऊँ जीवन-राग
छिपा कहीं वेदन-अवसाद
फिर भी मन एकाकी आज।