बुझे हुए दीप के

Saini Sa'aB

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बुझे हुए दीप के
उठते हुए धुएँ में,
काली ऐंठी हुई बत्ती को
साक्षी मान उसने
दीवाली मनाई।
जल चुकी स्याह फुलझड़ियों को
तीली से पकड़कर नचाया
सीले अनारों में
आग लगाने का व्यर्थ प्रयत्न किया
चरखियाँ बिना नाचे ही
स्थिर पड़ी रही,
मोमबत्तियाँ टिमटिमाकर
पिघलती रही।
चारो ओर छाए घने अँधेरे में,
अंदर को प्रकाशित करने की कोशिश
नाकामयाब रही,
आँख मूँदे अंधे होकर
उसने सुनी, केवल सुनी
वही तेज़ आवाज़ें
दूर - किसी ने
सभी पटाखे एक साथ रख कर
माचिस लगा दी थी।
 
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