Saini Sa'aB
K00l$@!n!
बारिश
भादो की ढलती इस साँझ
लगातार हो रही है बारिश
हल्की
दीखती बमुश्किल
उसकी आवाज़ सुनने को
धीमा करता हूँ पंखा
पत्तों से, छतों से आ रही हैं
टपकती बड़ी बूँदों की
टप-चट-चुट की आवाज़ें
छुपे पक्षी निकल रहे हैं
अपने भारी-भीगते पंखों से
कौए भरते हाँफती उड़ान
उधर लौट रहा मैनाओं का झुंड
अपेक्षाकृत तेज़ी से
पंखों पर जम आती बूँदों को
झटकारता।
भादो की ढलती इस साँझ
लगातार हो रही है बारिश
हल्की
दीखती बमुश्किल
उसकी आवाज़ सुनने को
धीमा करता हूँ पंखा
पत्तों से, छतों से आ रही हैं
टपकती बड़ी बूँदों की
टप-चट-चुट की आवाज़ें
छुपे पक्षी निकल रहे हैं
अपने भारी-भीगते पंखों से
कौए भरते हाँफती उड़ान
उधर लौट रहा मैनाओं का झुंड
अपेक्षाकृत तेज़ी से
पंखों पर जम आती बूँदों को
झटकारता।