~¤Akash¤~
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फिर वो सूए-चमन आता है ख़ुदा ख़ैर करे
रंग उड़ता है गुलिस्तां के हवादारों का
'मीर' के शे'र का अहवाल[1] कहूँ क्या 'ग़ालिब'
जिसका दीवाना कम-अज़ गुलशन-ए-कश्मीर नहीं
अब्र रोता है कि बज़्मे-तरब आमादा करो
बर्क हंसती है कि फुर्सत कोई दम दे हमको
कमाले-हुस्न गर मौकूफ़-ए-अंदाज़-तग़ाफुल हो
तकल्लुफ़ बरतरफ़, तुझसे तेरी तस्वीर बेहतर है
चंद तस्वीरे-बुता, चंद हसीनो के ख़ुतूत
बाद मरने के मेरे घर से ये सामां निकला
असद हम वह जुनूं-जौलां[2] गदा[3]-ए-बे-सर-ओ-पा[4] हैं
कि है सर-पंजा-ए-मिज़गान-ए-आहू[5] पुश्त-ख़ार[6] अपना
शब्दार्थ:
1. हाल का बहुवचन
2. पागलपन से पीड़ित
3. असहाय
4. बिना सर और पाँव
5. हिरन की पलकों की बनी कंघी
6. पीठ पर खराश करना वाला
रंग उड़ता है गुलिस्तां के हवादारों का
'मीर' के शे'र का अहवाल[1] कहूँ क्या 'ग़ालिब'
जिसका दीवाना कम-अज़ गुलशन-ए-कश्मीर नहीं
अब्र रोता है कि बज़्मे-तरब आमादा करो
बर्क हंसती है कि फुर्सत कोई दम दे हमको
कमाले-हुस्न गर मौकूफ़-ए-अंदाज़-तग़ाफुल हो
तकल्लुफ़ बरतरफ़, तुझसे तेरी तस्वीर बेहतर है
चंद तस्वीरे-बुता, चंद हसीनो के ख़ुतूत
बाद मरने के मेरे घर से ये सामां निकला
असद हम वह जुनूं-जौलां[2] गदा[3]-ए-बे-सर-ओ-पा[4] हैं
कि है सर-पंजा-ए-मिज़गान-ए-आहू[5] पुश्त-ख़ार[6] अपना
शब्दार्थ:
1. हाल का बहुवचन
2. पागलपन से पीड़ित
3. असहाय
4. बिना सर और पाँव
5. हिरन की पलकों की बनी कंघी
6. पीठ पर खराश करना वाला