बहुत दिनों के बाद

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद
आज फिर
कोयल बोली है

बहुत दिनों के बाद
हुआ फिर मन
कुछ गाने का
घंटों बैठ किसी से
हँसने का-बतियाने का

बहुत दिनों के बाद
स्वरों ने
पंखुरी खोली है

शहर हुआ तब्दील
अचानक
कल के गाँवों में
नर्म दूब की
छुअन जगी
फिर नंगे पाँवों में

मन में कोई
रचा गया
जैसे रंगोली है।
 
Top