बरसात के दिन

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
बरसात के दिन
चली पवन अमृत रस लेके
पूर्व दिशा मे मारे झोंके
क्या धरणी पर टपक रहे हैं
नभ ने दिए है तोहफ़े जो ये
प्यारी कलियाँ महक रही हैं
सजने लगी पेड़ पर बेलें
बन में मोर मगन हो नाचे
घर उपवन में बाजें बाजे
जुगनू रात में करें उजारा
पवन सुहावन लगता प्यारा
मेढक की घुन प्यारी लागे
पशु प्राणी पुलकित हो जागे​
 
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