बदलियाँ

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
बदलियाँ आस्मां में घुम घुमा कर आ गई हैं बदलियाँ
जल-तरंगों को बजाती छा गई हैं बदलियाँ

नाज़ और अन्दाज़ इनके झूमने के क्या कहें
कभी इतराई कभी बल खा गई हैं बदलियाँ

पेड़ों पे पिंगें चढ़ी हैं प्यार की मनुहार की
हर किशोरी के हृदय को भा गई हैं बदलियाँ

साथ उठी थी सभी मिलकर हवा के संग संग
राम जाने किस तरह टकरा गई हैं बदलियाँ

इक नज़ारा है नदी का जिस तरफ़ ही देखिए
पानियों को किस तरह बरसा रही हैं बदलियाँ

भीगते हैं बारिशों के पानियों में झूम कर
बाल-गोपालों को यों हर्षा गई हैं बदलियाँ

उठ रही हैं हर तरफ़ से सौंधी सौंधी ख़ुशबुएँ
बस्तियाँ जंगल सभी महका गई हैं बदलियाँ

याद आएगा बरसना 'प्राण' इनका देर तक
गीत रिमझिम के रसीले गा गई हैं बदलियाँ
 
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