बंधु हमारा साथ निभाओ

Saini Sa'aB

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शत्रु अभी न गया पलटकर
युद्ध अभी जारी है डटकर
बंधु, हमारा साथ निभाओ
हिमगिरि के उत्तुंग शिखर से
सूर्य करे आह्वान-अब आओ
डरो नहीं, अब समय आ गया
समय आ गया
कुछ करने पर

युद्ध-विद्या का विष फैला जो
नहीं हटा सूरज-मंडल से
प्रकृति सुघड़ रानी की अनुपम
रूप राशि के प्रभामंडल से
भरा नहीं है विश्व कभी तक
रस से तरकर

भारत के नव उदित मंत्र से
वशीभूत शिव तांडव करते
ले हाथों क्षत-विक्षत-भस्म शव
हाहाकार मचा, रव भरते
वहाँ मनुज की आज़ादी की
गंगा का अवरोहण होता
प्रकृति और मन दोनों करते
मानव की बलबाहु परीक्षा
अस्त्र परस्पर छीन-छीन कर
रोके कौन प्रचंड बेगतर
बीतेंगे युग और युगांतर

पूजक! देवी के चरणों में
रक्त चढ़ाओ, करो याचना
युवाओं बन मृत्यु मृत्यु की
कुचलो उसको करो सामना
देवताओं से दिव्य बनो वर
जाग-जागकर

कृषक और मजदूरों आओ
जल छिड़को, बरसाओ फूल
और बचाओ जीवन उनका
विश्व बनेगा स्वर्ग समूल
कलियुग वापस लौटे थककर
त्याग देखकर।

--बीर किशोर दास
 
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