फुनगी पर बैठा हीरामन

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
फुनगी पर बैठा हीरामन

फुनगी पर
बैठा हीरामन
सुना रहा दुखड़ा!

नई कहानी का मौसम अब किस्से कौन कहे,
चौपालों पर हुंकारे वाले भी नहीं रहे,
किस्*सागोई
वाला खेमा
तो कब का उखड़ा।

ठंडी-रातें गरम-रजाई घुसकर सब बैठें,
रोज नए किस्सें की जिद पर बबुआ जी ऐंठें,
परीकथा
वे दिन, वे रातें
अब न बचा टुकड़ा।

गिर्द अलावों के रचते जाने कितने किस्से,
कथरी ओढ़े पड़े गुमशुदा वे जीवन-हिस्*से,
यह किस्सा
बन गया गीत का
दर्द भरा मुखड़ा।
 
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