प्यार की दौलत

Saini Sa'aB

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प्यार की दौलत

यूँ प्या-र की दौलत को लुटाया नहीं करते
हर शख़्स को हमराज़ बनाया नहीं करते

तुझको जो शिकायत है उसे खुलके बयाँ कर
इल्ज़ा़म यूँ छुप-छुप के लगाया नहीं करते

हिम्मत हो तो आ सामने दो हाथ दिखा तू
उँगली यूँ हवाओं पे उठाया नहीं करते

दुश्मन हैं तो क्यूँ नाम जु़बाँ पे नहीं लाता
नादानों से हम हाथ मिलाया नहीं करते

तूफ़ान तो साँसों में किये क़ैद हैं हम भी
बेवज्ह चराग़ों को बुझाया नहीं करते

समझो भी कि खूँख़्वार हैं दरिया की ये मौजें
साहिल पे लिखे अक्स मिटाया नहीं करते

रिश्तों को जला सकती है माचिस की ये तीली
रिश्तों की किताबों को जलाया नहीं करते

 
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