पाँचजन्य

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
आगे बढ़ो! आगे बढ़ो
हो अग्रसर आगे बढ़ो
रुकना नहीं, थकना नहीं
उत्फुल्ल हो आगे बढ़ो

भय त्याग, उर-मंदिर-निडर
कर आस्था स्थापना
कर ध्वस्त कारा, अरि-दलन
हो खाक, फिर ले साँस ना

मिट जाऊँ मैं या तुम मिटो
इन अस्थियों पर भी मगर
विश्वास है होगा खड़ा
नव भव्य भारत उभरकर

यह आत्मा अक्षय कला
बन जाएगी जन-शृंखला
यह मृत्यु नश्वर बना दो
भारत सुगौरव, घोषणा

आगे बढ़ो! आगे बढ़ो
हो अग्रसर आगे बढ़ो
रुकना नहीं, थकना नहीं
उत्फुल्ल हो आगे बढ़ो!

--के. वी. पुट्टप्पा
 
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