निकला कितना दूर

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
निकला कितना दूर
पहले तुम था, आप हुआ फिर
अब हो गया हुजूर।
पीछे-पीछे चलते-चलते
निकला कितना दूर।
कद छोटा है, कुर्सी ऊँची
डैने बड़े-बड़े
एक महल के लिए न जाने
कितने घर उजड़े
वयोवृद्ध भी 'माननीय'
कहने को हैं मजबूर!
पूछ रहा मुझसे प्रतिक्रिया
अपने भाषण की
जिसको लिखकर पाई मैंने
कीमत राशन की
पाँव नही धरता ज़मीन पर
इतना हुआ गुरूर!
हर चुनाव के बाद आम
मतदाता गया छला
जिसकी पूँछ उठाकर देखा
मादा ही निकला
चुन जाने के बाद लगा
खट्टा होता अंगूर।
 
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