नहीं चाहिए हमें फिरंगी राज

Saini Sa'aB

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नहीं चाहिए हमें फिरंगी राज- हे भगवान
नहीं चाहिए हमें फिरंगी राज
जिसने किया हमारे जीवन पर आघात
और लिया है लूट हमारे स्वाभिमान का ताज
नहीं चाहिए हमें फिरंगी राज
यहाँ भूमि उपजाती रहती फसलों के बहुढेर
खाने को पर हमें न मिलता हात, एक भी कौर
छूना है अपराध नमक भी कहिए क्या अब और
मुँह में झोंक हमारे मिट्टी आप चला जाता निज ठौर
रोटी के टुकड़ों की खातिर देखो,
क्या हालत है
खाने को लड़ते कुत्तों से विवश और मोहताज
नहीं चाहिए, हमें फिरंगी राज
उसने विधि का तंत्र बनाया रचे कई हैं व्यूह
ध्येय किंतु है नष्ट करो केवल साहचर्य-समूह
जाग्रह कर लालच बुराई से कुत्सित भाव भयावह
उसने दी है हमें क्षुधा, चिररूदन दबी-आवाज़
नहीं चाहिए, हमें फिरंगी राज
कारागृह के द्वार खड़ी है आज़ादी की दुल्हन
रंगबिरंगे फूल हाथ ले इंतज़ार में रत मन
स्वागत सिर्फ़ तुम्हारा करने खुशियाँ भरने आँगन
चलो जेल में सीधे, टूटे निंद्य मर्त्य यह राज
नहीं चाहिए, हमें फिरंगी राज।
--गरिमेल्ला सत्यानारायण
 
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