Saini Sa'aB
K00l$@!n!
नया उजाला लेकर सूरज
उतरा है आँगन में।
खुले हज़ारों नए झरोखे
दर्पण जैसे मन में।।
पार किए हैं
बीहड़ वन के
हमने नुकीले शूल
पीछे छोड़ी
उड़ी देर तक
राह में जो थी धूल।
पंछी बनकर उतर पड़े हैं
अब हम नील गगन में।।
बीत गया जो
लेकर उसको
आँसू कौन बहाए
नए साल में
नई आस की
दुनिया एक बनाएँ
बरसेगा घर-घर उजियारा
सबके ही जीवन में।
उतरा है आँगन में।
खुले हज़ारों नए झरोखे
दर्पण जैसे मन में।।
पार किए हैं
बीहड़ वन के
हमने नुकीले शूल
पीछे छोड़ी
उड़ी देर तक
राह में जो थी धूल।
पंछी बनकर उतर पड़े हैं
अब हम नील गगन में।।
बीत गया जो
लेकर उसको
आँसू कौन बहाए
नए साल में
नई आस की
दुनिया एक बनाएँ
बरसेगा घर-घर उजियारा
सबके ही जीवन में।