न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये

~¤Akash¤~

Prime VIP
हमारा दिल सवेरे का सुनेहरा जाम हो जाए
चिरागों की तरह आँखें जले जब शाम हो जाए

मैं खुद भी एहतियातन उस गली से कम गुजरता हूँ
कोई मासूम क्यों मेरे लिए बदनाम हो जाये

अजब हालत थे की दिल का सौदा हो गया आखिर
मोहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाये

समंदर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको
हवाए तेज़ हो और कश्तियों में शाम हो जाये

मुझे मालूम है उश्का ठिकाना फिर कहाँ होगा
परिंदा आसमा छूने में जब नाकाम हो जाये

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये
 
Top