नजरों से नजरें मिली और नजरें झुक गई

नजरों से नजरें मिली और नजरें झुक गई ,
आया सेलाब थम गिया और आंखे नम हुई ..

एक कदम मै चलूं ,एक कदम वो चले ,
थाम लूँ मैं हाथ उनका ,जब वो गिरने लगें,
उठाके मैं उनको चलता गया और मंजिल पास हुई ,
आया सेलाब थम गिया और आंखे नम हुई ..

उसे देखूं तो चैन आए ,चिहरे से नजर हटती नहीं ,
पास आ के वो दूर गए, ऐसे ही रुसवा हुई ,
आया सेलाब थम गिया और आंखे नम हुई ..

किया था वादा आने का, “सोहल” उडीक में रहे,
दिल में बहुत अरमान थे, वो आज तो कुछ कहे,
वो ना आए मै बेबस था, इंतज़ार कि इन्तहा हुई,
आया सेलाब थम गिया और आंखे नम हुई ..

रमेश भारद्वाज
 
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