Saini Sa'aB
K00l$@!n!
नई भोर की
नई किरन का
स्वागत कर लो।
आँखों में तुम
आशाओं का
सागर भर लो।
भूलो बीती बातें
दर्दभरी अंधियारी रातें।
शुभकामना की
देहरी पर
सूरज धर लो।
वैर भाव मिट जाए
मन से तन से
इस जीवन से।
जगे प्रेम नित
दुख सारी
दुनिया का हर लो।
रामेश्वर कांबोज 'हिमांशु
नई किरन का
स्वागत कर लो।
आँखों में तुम
आशाओं का
सागर भर लो।
भूलो बीती बातें
दर्दभरी अंधियारी रातें।
शुभकामना की
देहरी पर
सूरज धर लो।
वैर भाव मिट जाए
मन से तन से
इस जीवन से।
जगे प्रेम नित
दुख सारी
दुनिया का हर लो।
रामेश्वर कांबोज 'हिमांशु