Saini Sa'aB
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दिन बरखा बिजुरी के
दिन बरखा-बिजुरी के
ताल भरे
कमल खिले
रात सुना मेघराग
दिन भर घर बदराया
छत पर हर सांझ दिखा
इन्द्रधनुष का साया
बिरवे सब हरे हुए
पीपल के
पात हिले
कमल-पात बूँद-बूँद
सुख सहज सहेज रहे
कजरी ने बदरा से
उस सुख के हाल कहे
बार-बार मेघराज
बरगद से
गले मिले
भीज-भीज
फूलों की पगडंडी हुई साँस
धुली-धुली हवा भरे
मन में मीठे हुलास
ताप मिटे सारे ही
नहीं रहे
कोई गिले
दिन बरखा-बिजुरी के
ताल भरे
कमल खिले
रात सुना मेघराग
दिन भर घर बदराया
छत पर हर सांझ दिखा
इन्द्रधनुष का साया
बिरवे सब हरे हुए
पीपल के
पात हिले
कमल-पात बूँद-बूँद
सुख सहज सहेज रहे
कजरी ने बदरा से
उस सुख के हाल कहे
बार-बार मेघराज
बरगद से
गले मिले
भीज-भीज
फूलों की पगडंडी हुई साँस
धुली-धुली हवा भरे
मन में मीठे हुलास
ताप मिटे सारे ही
नहीं रहे
कोई गिले