~¤Akash¤~
Prime VIP
अँधेरी रात के लम्हे तमाम होने तक
तुझे ही सोचते हैं सुबह से शाम होने तक
मैं ऐसा जिस्म हूँ के जिस की रूह भी तू है
अधूरी ज़ात हूँ मैं तेरे नाम होने तक
तेरी आवाज़ सुन न लूं तो दिल नहीं लगता
तड़पते रहते हैं हम हमकलाम होने तक
तेरी नज़र की कीमत पे बिक रहा है कोई
उसे खरीद ले तू महंगे दाम होने तक!.
तुझे ही सोचते हैं सुबह से शाम होने तक
मैं ऐसा जिस्म हूँ के जिस की रूह भी तू है
अधूरी ज़ात हूँ मैं तेरे नाम होने तक
तेरी आवाज़ सुन न लूं तो दिल नहीं लगता
तड़पते रहते हैं हम हमकलाम होने तक
तेरी नज़र की कीमत पे बिक रहा है कोई
उसे खरीद ले तू महंगे दाम होने तक!.