Saini Sa'aB
K00l$@!n!
तुम से मिलके
तुमसे मिलके
खुश रहता हूँ
तुमसे मिलके
उजले लगते
धूल धूसरित मैले से दिन
तुमसे मिलके
जग से मिलते
बंजारे मेरे सब पल-छिन
तुमसे मिलके
अनायास ही
हट जाते कुंठा के छिलके
तुमसे मिलके
वात्सल्य का
एक अजब झरना सा झरता
तुमसे मिलके
मन आँगन में
तुलसी जैसा बोध उभरता
तुमसे मिलके
तुमसे मिलके
खुश रहता हूँ
तुमसे मिलके
उजले लगते
धूल धूसरित मैले से दिन
तुमसे मिलके
जग से मिलते
बंजारे मेरे सब पल-छिन
तुमसे मिलके
अनायास ही
हट जाते कुंठा के छिलके
तुमसे मिलके
वात्सल्य का
एक अजब झरना सा झरता
तुमसे मिलके
मन आँगन में
तुलसी जैसा बोध उभरता
तुमसे मिलके