~¤Akash¤~
Prime VIP
मान जायें हम मनाओ तुम अगर
आ भी जाए हम बुलाओ तुम अगर
यूँ तो हम बैठे हैं होकर के खफा
हँस भी देंगे मुस्कुराओ तुम अगर
आ गये जब हम वफ़ा की बात क्या
जाँ लुटा दें आजमाओ तुम अगर
कागजे-दिल यूँ तो हैं भीगा हुआ
जल उठे शायद ज़लाओ तुम अगर
कर के घर से कुछ बहाना मैं चलूँ
चाँद बन कर छत पे आओ तुम अगर
भर उठेगा नूर से आँगन मेरा
मेरे घर में जगमगाओ तुम अगर
हम तो मानंगे तभी मकबूलियत
मेरी ग़ज़लें गुनगुनाओ तुम अगर...
आ भी जाए हम बुलाओ तुम अगर
यूँ तो हम बैठे हैं होकर के खफा
हँस भी देंगे मुस्कुराओ तुम अगर
आ गये जब हम वफ़ा की बात क्या
जाँ लुटा दें आजमाओ तुम अगर
कागजे-दिल यूँ तो हैं भीगा हुआ
जल उठे शायद ज़लाओ तुम अगर
कर के घर से कुछ बहाना मैं चलूँ
चाँद बन कर छत पे आओ तुम अगर
भर उठेगा नूर से आँगन मेरा
मेरे घर में जगमगाओ तुम अगर
हम तो मानंगे तभी मकबूलियत
मेरी ग़ज़लें गुनगुनाओ तुम अगर...