ढूंढ रहा हैं खुद को ही जाने कब से

~¤Akash¤~

Prime VIP
शहर में तेरे जीने का सामान कहाँ
मैखाने हैं पर आँखों के जाम कहाँ

कुछ और सबब होगा उसकी बेचैनी का
रखता हैं सर मेरे वो इल्जाम कहाँ

समझायें कैसे दिल के आईने को
नाम हुआ हैं मेरा, मैं बदनाम कहाँ

करते हो हर बार शिकायत क्यूँ बेजा
नहीं हो मीरा जब तुम फिर मैं श्याम कहाँ

ढूंढ रहा हैं खुद को ही जाने कब से
मेरठ मैं अब रहता हैं "अयान" कहाँ..
 
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