झूम के बादल छाए हैं

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
झूम के बादल छाए हैं
तेरी चाहत, तेरी यादें, तेरी ख़ुशबू लाए हैं।
बरसों बाद हमारी छत पर झूम के बादल छाए हैं।

सावन का संदेस मिला जब
महक उठी पुरवाई
बूँदों ने छेड़ी है सरगम
रुत ने ली अंगड़ाई
मन के आँगन में यादों के महके महके साए हैं।

जब धानी चूनर लहराई
बाग़ में पड़ गए झूले
मन में फूल खिले कजरी के
तन खाए हिचकोले
बिजुरी के संग रास रचाते मेघ प्यार के आए हैं।

दिन में बारिश की छमछम है
रातों में तनहाई
किसने लूटा चैन दिलों का
किसने नींद चुराई
दिल जलता है लेकिन आँसू आँख भिगोने आए हैं।
 
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