जो भी सपना

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
जो भी सपना जो भी सपना तेरे-मेरे दरमियाँ रह जाएगा
बस वही इस ज़िंदगी का दास्ताँ रह जाएगा।
कट गए हैं हाथ तो आवाज़ से पथराव कर
याद सबको यार मेरे ये समाँ रह जाएगा।
भूख है तो भूख का चर्चा भी होना चाहिए
वरना घुटकर सबके मन में ये धुआँ रह जाएगा।
ये धुँधलके हैं समय के, सोचकर परवाज़ कर
यों ही बादल फट गया गर, तू कहाँ रह जाएगा।
जो भी पूछे तो अदालत, बोल देना बेझिझक
तू न रह गया तो क्या, तेरा बयाँ रह जाएगा।
 
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