जिस्मे खाक़ी में

जिस्मे खाक़ी में क्या बला है वो
है कोई चीज या हवा है वो

दिल में चाहत जुबाँ पे कड़वी बात
हुस्न वालों की इक अदा है वो

कौन जानेगा इश्क़ से बढ़कर
“हुस्न कहते हैं जिसको क्या है वो”

अजनबी है मगर मिला ऐसे
जैसे मुद्दत से जानता है वो

डोर आँखों में वो गुलाबी सी
जैसे चढ़ता हुआ नशा है वो

मंजिले इश्क़ पार करने को
जान जोखिम में डालता है वो

बेवफा कह दिया ‘रक़ीब’ जिसे
जान लें आप बावफा है वो

By Satish Shukla “Raqeeb”
 
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