जितने तारे आसमान में

Saini Sa'aB

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जितने तारे आसमान में
जन जितने इस जहान में
उतने अरमान फलें
कोटि कोटि दीप जलें
शुभता फैलाने को
तिमिर सब गलाने को
थकें नहीं
रुकें नहीं
आगे पग सदा बढ़ें
कोटि कोटि दीप जलें
अँधकार गहरा हो
मंज़िल पर पहरा हो
ज्योति जले
राह मिले
उत्सव के द्वार खुलें
कोटि कोटि दीप जलें
हर मन एक मंदिर हो
शांति सदा स्थिर हो
सुख दुख
आएँ जाएँ
मार्ग नहीं विचलें
कोटि कोटि दीप जलें
 
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