जाने किस घाट लगे

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
जाने किस घाट लगे
नाव यह पुरान

खेवट हैं
आपस में तालमेल खो चुके
कबसे ये नई नई लहरों के हो चुके
सागर बेचैन
नई आँधी है आनी

प्यास की
मछलियाँ हैं, पानी के कहकहे
उलटी धाराओं को अंतरीप सह रहे
डूबती दिशाओं में
धुंध की कहानी

पछुवा की
बरजोरी, करती है बतकही
गैरों के डाँड और पतवारें हैं सही
शायद पड़ जाएँ बड़ी
कीमतें चुकानी
 
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