चेहरे से सिद्धार्थ

Saini Sa'aB

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चेहरे से सिद्धार्थ

अर्थातों में
बातें करना
उनकी शैली है।

बात एक पर अर्थ कई
शब्*दों के जाल बुनें,
कितनी उलटबासियाँ
कितनी उलझी हुई धुनें,
मीठी-मीठी
कनबतियाँ भी
एक पहेली है।

है अनंत-विस्*तार
मित्र की मीठी बातों का,
किंतु कवच के नीचे
दर्शन गहरी घातों का,
चेहरे से सिद्धार्थ
और मन
निपट बहेली है।

अर्थ और व्याकरण
भले हो दुनिया से न्यारा,
छाछ जड़ों में बोना उनका
पर भाईचारा,
उनकी यह
अठखेली
कैसे-कैसे झेली है।
 
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