Saini Sa'aB
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चराग़ जिसने जलाया हो दिल में चाहत का
उसे वो अपने ही हाथों से ग़ुल नहीं करता
जिसे है डूबना चुपके से डूब जाता है
कभी मुहब्बत में वो शोरोग़ुल नहीं करता
उसे वो अपने ही हाथों से ग़ुल नहीं करता
जिसे है डूबना चुपके से डूब जाता है
कभी मुहब्बत में वो शोरोग़ुल नहीं करता