Saini Sa'aB
K00l$@!n!
चंपा ने
चम्पा ने
जब पलाश को देखा
थोड़ी-सी और खिल गई!
एक की हथेली ने पोंछ लिया
दूजे के माथ का पसीना
सहसा आसान हो गया जीना
बिन खोजे राह मिल गई!
चम्पा ने
ईहा की बँधी हुई मुट्ठियाँ
जीवन के उठे हुए पाँव
देख--फर्क अपना खो बैठे हैं
जाड़ा-बरसात-- धूप-छाँव!
कुण्ठा की नींव हिल गई!
चम्पा ने
चम्पा ने
जब पलाश को देखा
थोड़ी-सी और खिल गई!
एक की हथेली ने पोंछ लिया
दूजे के माथ का पसीना
सहसा आसान हो गया जीना
बिन खोजे राह मिल गई!
चम्पा ने
ईहा की बँधी हुई मुट्ठियाँ
जीवन के उठे हुए पाँव
देख--फर्क अपना खो बैठे हैं
जाड़ा-बरसात-- धूप-छाँव!
कुण्ठा की नींव हिल गई!
चम्पा ने