Saini Sa'aB
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ग्रीष्म का आतप
बहकती तितलियों के दल
दोपहर की गुनगुनाहट
रहट की आहट
पी रहे
एकांत में यह ग्राम्य कोलाहल
बहकती तितलियों के दल
एक टुकड़ा धूप पर
चमका सुबह का नाम
डाल पंखुरी फूल पर
लिखता हुआ पैगाम
हवा का अनुमान
बादलों के
रंग का कोई गीत निश्छल
गा रहे हैं फिर -
बहकती तितलियों के दल
दोपहर के शांत खेतों में
बिखरते छंद
शहर के तूफान में फिर
ढूँढ़ते मकरंद
पल कोई स्वच्छंद
खुल सकें
जिसमें हृदय के बोल कुछ बेकल
कह रहे हैं फिर-
बहकती तितलियों के दल
बहकती तितलियों के दल
दोपहर की गुनगुनाहट
रहट की आहट
पी रहे
एकांत में यह ग्राम्य कोलाहल
बहकती तितलियों के दल
एक टुकड़ा धूप पर
चमका सुबह का नाम
डाल पंखुरी फूल पर
लिखता हुआ पैगाम
हवा का अनुमान
बादलों के
रंग का कोई गीत निश्छल
गा रहे हैं फिर -
बहकती तितलियों के दल
दोपहर के शांत खेतों में
बिखरते छंद
शहर के तूफान में फिर
ढूँढ़ते मकरंद
पल कोई स्वच्छंद
खुल सकें
जिसमें हृदय के बोल कुछ बेकल
कह रहे हैं फिर-
बहकती तितलियों के दल