होती रही हैं यूँ तो बरसात आँसुओं की उठते रहे हैं फिर भी दिल से गुबार बरसों............... उसकी ऐडी परबत चोटी लगती है माँ के आगे ज़न्नत छोटी लगती है फाकों ने तस्वीर बना दी आँखों मे गोल हो कोई चीज तो रोटी लगती है