गाँव में अलाव

Saini Sa'aB

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गाँव में अलाव
पहली-पहली बर्फ़ गिरी है
नदी किनारे
सर्दी की तरुणाई
छाई आँगन द्वारे
धुआँ-धुआँ-सी भीग रही है
सुरमई संध्या
आसमान से पिघल रहा है
मद्धम कोहरा
थमा-थमा-सा
लगता है यह गाँव
चलो जलाएँ
गरमा गरम अलाव
हाथों में महसूस करें
थोड़ी गरमाहट
दिल के दरवाज़े पर
एक हल्की-सी आहट
हम भी बैठें
तुम भी बैठो
गरम चाय के
दो प्याले हों साथ हमारे
देर रात तक जगें
तापते बातें करते
बीते किस्सों को दोहराते
बिसरी यादों को गरमाते
तिरती रहे
सपनों बुनी पाल की नाव
जलता रहे
बहुत देर तक
धीमी-धीमी लपटों वाला
एक अलाव
 
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