गयाप्रसाद

Saini Sa'aB

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गयाप्रसाद

गाँव में अकाल पडा तो
शहर में आ गया था
पेट पालना ही
सीखता रहा गयाप्रसाद।

खोमचा लगाया
कभी पान बेचने लगा वो
जिन्दगी का खेत
सींचता रहा गयाप्रसाद।

टीबी जो हुई तो
रिक्शा खींचना मोहाल हुआ
खून से ही
गाडी खीचता रहा गयाप्रसाद।

इंकलाब की
अटूट आस्था संजोये हुए
भीड में अकेले
चीखता रहा गयाप्रसाद।
 
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