खुलता हो जो बस मेरी आहटो पर

~¤Akash¤~

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खुदाया कुछ ऐसा हुनर आज दे दे
ग़ज़ल में मुझे वो असर आज दे दे

गुजरती हो सबके दिलो से जो होकर
वही तू मुझे रह गुजर आज दे दे

मंदिर ओ मस्जिद में ही खो ना जाऊं
तू रहता हो जिसमे वो घर आज दे दे

कटता हो चाहे अनाओं पे हर दिन
मगर ना झुके जो वो सर आज दे दे

खुलता हो जो बस मेरी आहटो पर
किसी घर में तो कोई दर आज दे दे.....
 
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