कौन कहता है कि मौत आयी तो मर जाऊंगा

gurpreetpunjabishayar

dil apna punabi
कौन कहता है कि मौत आयी तो मर जाऊंगा
मैं तो दरिया हूं, समन्दर में उतर जाऊंगा

तेरा दर छोड़ के मैं और किधर जाऊंगा
घर में घिर जाऊंगा, सहरा में बिखर जाऊंगा

तेरे पहलू से जो उठूंगा तो मुश्किल ये है
सिर्फ़ इक शख्स को पाऊंगा, जिधर जाऊंगा

अब तेरे शहर में आऊंगा मुसाफ़िर की तरह
साया-ए-अब्र की मानिंद गुज़र जाऊंगा

तेरा पैमान-ए-वफ़ा राह की दीवार बना
वरना सोचा था कि जब चाहूंगा, मर जाऊंगा

चारासाज़ों से अलग है मेरा मेयार कि मैं
ज़ख्म खाऊंगा तो कुछ और संवर जाऊंगा

अब तो खुर्शीद को डूबे हुए सदियां गुज़रीं
अब उसे ढ़ूढने मैं ता-बा-सहर जाऊंगा

ज़िन्दगी शमा की मानिंद जलाता हूं ‘दीपक’
बुझ तो जाऊंगा मगर, सुबह तो कर जाऊंगा
 
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