Saini Sa'aB
K00l$@!n!
कितना अच्छा लगता है
जयपुर की सड़कों पर
जाना
रोज़ टहलने
गर्मी के मौसम में तड़के
थोड़े से अंधियारे में
सड़क किनारे
बिछी खाट पर
सोते हैं जन
रंग बिरंगी कथरी ओढ़े
टुकड़ों-टुकड़ों गुथी कला के
सहज फलक से
धीमे-धीमे बहती है पुरवा
अमलतास के
स्वर्ण घुँघरुओं को झनकाती
खिले हुए
गुलमोहरों से ढकी
हलचल रहित स्तब्ध वधूटी जैसी
निर्मल सड़कें
शांत!!
घने यातायातों से दूर
ऊँट गाड़ी का सहज गुज़रना
धीरे-धीरे
झरती हुई नीम के नीचे
कितना अच्छा लगता है
सूरज के आने से पहले
घने शहर में
कोलाहल भर जाने से पहले।
जयपुर की सड़कों पर
जाना
रोज़ टहलने
गर्मी के मौसम में तड़के
थोड़े से अंधियारे में
सड़क किनारे
बिछी खाट पर
सोते हैं जन
रंग बिरंगी कथरी ओढ़े
टुकड़ों-टुकड़ों गुथी कला के
सहज फलक से
धीमे-धीमे बहती है पुरवा
अमलतास के
स्वर्ण घुँघरुओं को झनकाती
खिले हुए
गुलमोहरों से ढकी
हलचल रहित स्तब्ध वधूटी जैसी
निर्मल सड़कें
शांत!!
घने यातायातों से दूर
ऊँट गाड़ी का सहज गुज़रना
धीरे-धीरे
झरती हुई नीम के नीचे
कितना अच्छा लगता है
सूरज के आने से पहले
घने शहर में
कोलाहल भर जाने से पहले।