कहें तितलियाँ फूल से चलो हमारे संग

Saini Sa'aB

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कहें तितलियाँ फूल से चलो हमारे संग
रंग सजा कर पंख में खेलें आज वसंत
फूल बसंती हँस दिया बिख़राया मकरंद
यहाँ वहाँ सब रच गए ढ़ाई आखर छंद
भँवरे तंबूरा हुए मौसम हुआ बहार
कनक गुनगुनी दोपहर मन कच्चा कचनार
अबरक से जगमग हुए उत्सव वाले रंग
सब जग को भाने लगे होली के हुड़दंग
घाटी में घुलने लगा फागुन का त्यौहार
नाच गान पकवान में खुशियाँ अपरंपार
भोर जली होली सखी दिनभर रंग फुहार
टेसू की अठखेलियाँ पूर गईं घर द्वार
यमन देश की रात में छिड़ी बसंत बहार
भोर तलक थी भैरवी फागुन के दिन चार
आएँगे अगले बरस फिर से लेकर रंग
जाते-जाते कह गया भीगे नयन वसंत
 
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