ऐ दुनिया के रखवालो

ऐ दुनिया के रखवालो
पहले अपना देश बचा लो
पीछे एक नज़र तो डालो
बिगड़ते हालात को संभालो


घर मैं कोई सेफ नहीं है
पुलिस पर किसी को फैथ नहीं है
निपटे लाखो केस नहीं है
कम होती नेताओ की ऐस नहीं है


लडकियों की कोई कद्र नहीं है
लम्बी उनकी उम्र नहीं है
खुद को सोचो मैं मत डालो
कैद से उनको बाहर निकालो


चारो तरफ गरीबी फैली है
हर शेय लगती मैली मैली सी है
सरकार की नीतिया पहली सी है
हर गली दहशत से देहली सी है


बोर्डर पर सैनिक मरते है
कितने ही घर उजड़ते है
लोग खौफ मैं जीते मरते है
फ़रियाद खुदा से रोज करते है


दिल मैं सबके पाप है
चेहरे पर नकली नकाब है
इरादे भी नापाक है
नहीं मिलते तभी तो इन्साफ है


कहीं पर कोई तरक्की नहीं है
गालिया-सड़के पक्की नहीं है
खुद को समझता कोई लक्की नहीं है
गंदगी फ़ैलाने मैं दुनिया थकती नहीं है


अरे छोड़ो जो मन है बुरी बात
जो है सब्र करो मत रखो झूठी आस
बुरे वक़्त मैं दो सबका साथ
बाजवा फिर हो सकती है नयी प्रभात


कलम :- हरमन बाजवा ( मुस्तापुरिया )

 
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