उसके चेहरे

Arun Bhardwaj

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उस शक्स से मेरा किआ रिश्ता था ,
मैं आज तलक समझ नहीं पाया ,

लेकिन उससे दूर होने के गम ने ,
मुझे हर दिन पल पल है तडपाया ,

कभी देखा न था मैंने ,
उसके चेहरे कभी गोर से ,
फिर भी नाजने किओं ,
वो उसका नजरे झुकाना ,
वो नजरें झुका शर्मना ,
वो मीठा मीठा ल्भों में मुस्काना ,
बात करने से इतराना ,

आज तलक ना हूँ भुला पाया ,

महोबत ना थी उससे,
ना ही नफरत थी ,
ना खोना ही चाहता था ,
ना पाने की हसरत थी,

फिर भी नाजाने किओं ,
एक तडप थी सीने में ,
उसकी एक झलक पाने को ,
उसकी आँखों के समन्दर में ,
दिल चाहता था डूब जाने को ,

अजब सी यह कशमश,
तब भी थी दिल में और है आज भी ,
जिसको सुलझाना तो चाहा,
लेकिन सुलझा ना पाया ,

किओं उसकी यादों ने है ,
मुझे पल पल तडपाया ,
किओं मैं उसे चाह कर भी ,
आज भी ना भुला हूँ पाया ,
आज भी भुला ना पाया ,




written By:- Jatinder Singh Phull
 
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