उसकी कत्थई आंखों में हैं जंतर मंतर सब चाक़ू वाक़ू, छुरियां वुरियां, ख़ंजर वंजर सब जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे रूठे हैं चादर वादर, तकिया वकिया, बिस्तर विस्तर सब मुझसे बिछड़ कर वह भी कहां अब पहले जैसी है फीके पड़ गए कपड़े वपड़े, ज़ेवर वेवर सब