इम्तिहानो के दौर से

इम्तिहानो के दौर से
गुज़रा हूँ इस कदर


हर मुश्किल घडी अब तो
आसान ही लगती है


हथियारों के दम पर
जंग नहीं जीती जाती


गर हो हौंसले बुलंद हरमन
दुनिया कदमो में झुकती है


कलम :- हरमन बाजवा ( मुस्तापुरिया )

 
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