इकबाल साहब

तुमने दिल की बात कह दी,
आज ये अच्छा किया,
हम तुम्हे अपना समझते थे,
बड़ा धोखा हुआ,

जब भी हमने कुछ कहा,
उसका असर उल्टा हुआ,
आप शायद भूलते हैं,
बारहा ऐसा हुआ,

आपकी आँखों में,
ये आँसू कहाँ से आ गए,
हम तो दीवाने थे, लेकिन
आपको ये क्या हुआ,

अब किसी से क्या कहें,
इकबाल अपनी दास्ताँ,
बस खुदा का शुकर है,
जो हुआ अच्छा हुआ।
 
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