Saini Sa'aB
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आ भाई सूरज
उतर धरा पर
ले आ गाड़ी
भरकर धूप ।
आ भाई सूरज
बैठ बगल में
तापें हाथ
दमके रूप।
आ भाई सूरज;-
कोहरा अकड़े
तन को जकड़े
थके अलाव।
आ भाई सूरज
चुपके-चुपके
छोड़ लिहाफ़
अपने गाँव
उतर धरा पर
ले आ गाड़ी
भरकर धूप ।
आ भाई सूरज
बैठ बगल में
तापें हाथ
दमके रूप।
आ भाई सूरज;-
कोहरा अकड़े
तन को जकड़े
थके अलाव।
आ भाई सूरज
चुपके-चुपके
छोड़ लिहाफ़
अपने गाँव