आज बिछड़े हैं कल का डर भी नहीं

आज बिछड़े हैं कल का डर भी नहीं
ज़िन्दगी इतनी मुख़्तसर भी नहीं
ज़ख्म दीखते नहीं अभी लेकिन
ठन्डे होंगे तोह दर्द निकलेगा
तैश उतरेगा वक़्त का जब भी
चेहेरा अन्दर से ज़र्द निकलेगा
कहने वालों का कुछ नहीं जाता
सहने वाले कमाल करते हैं
कौन ढूंढें जवाब दर्दों के
लोग तोह बस सवाल करते हैं
कल जो आयेगा जाने क्या होगा
बीत जाएँ जो कल नहीं आते
वक़्त की शाख तोड़ने वालों
टूटी शाखों पर फल नहीं आते
कच्ची मिट्टी है दिल भी इंसान भी
देखने ही में सख्त लगता है
आंसू पोंछें के आंसू के निशाँ
खुश्क होने में वक़्त लगता है..........




By Unknown
 
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