आज बादल ऐसे छाए है

आज बादल ऐसे छाए है कि समुन्दर ढक सा गया है
पड़ी इन नफरत के तुफानो से लड़ते हुए शरीर मेरा थक सा गया है
हो सके तो कोई रोक लो सूरज को अपने हाथों में
नही तो ये दिल भी जम जायेगा उफनती ठंडी रातों में
जीना अब जरुरी भी नहीं अब मेरे लिए
बस मुझे तो एक पल चाहिए इस दुनिया में शिध्हत का
मुझे निपटाना है वो काम जिस के लिए भेजा है खुदा ने मुझे जमी पे
कहा था उसने मुझे जहाँ तेरा दिल ठहर जाए है तेरी मंजिल वहीँ पे
मिलाना बिछड़ना सब रंग है जिंदगी के
ये मान लिया है मेने दिल के कहने पर
पर अब रोने को भी कुछ न रहा वक़्त ऐसा गुजर सा गया है
 
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