आज तक दिल पे वही घाव लिए बैठा हूँ

~¤Akash¤~

Prime VIP
उसपे मर मिटने का स्वभाव लिए बैठा हूँ
उम्र भर के लिए भटकाव लिए बैठा हूँ

याद है, मुझको कहा था कभी अपनी धड़कन
आपकी सोच का दुहराव लिए बैठा हूँ

तुम मिले थे जहाँ इक बार मसीहा की तरह
फिर उसी मोड़ पे ठहराव लिए बैठा हूँ

लाख तूफ़ान हों, जाना तो है उस पार मुझे
लाख टूटी हुई इक नाव लिए बैठा हूँ

आपके फूल से हाथों से मिला था जो कभी
आज तक दिल पे वही घाव लिए बैठा हूँ
 
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