आज के श्रवणकुमार

:fukra


समय बदला, युग बदला, रिस्तो के मैईयने गये बदल
क्या आदर्श,क्या शिस्टचार,सब हो गयी उथल-पुथल

अपने ही औलाद के आगे माँ-बाप हुए लाचार
आओ तुम्हे बतलाउ होते कैसे "आज के श्रवंकुमार

सुबह उठने से पहले माँ से,:बेड- टी" माँगे
पहले सुने अंग्रज़ी गाने फिर जा के जागे

माँ पुकारे करो नाश्ता ,ना करो परेशान
खाना ऐसे खाए जैसे कर रहे हो अहसान

बाप को बोले "पोप" ,माँ को कहे "मोम"
कह के चले ,देर हुए तो, कर देंगे इनफॉर्म

बाप पिस रहा कर के नौकरी,देर रात घर आए
बेटा माँगे पॉकेट मनी यहा-वाहा खूब उड़ाए

सलाह कभी जो देना चाहो तो समझ ना आए
अपने को "न्यू जेनरेशन" उन्हे "ओल्ड फॅशन" बतलाए

दिन बीत जाता है और हो जाती है रात
माँ-बाप तरस जाते हैं करने को दो बात

रो-रो कर माँ जब बचपन की याद दिलाती
कहता कोई अहसान नही है ,ये तुम्हारी थी ड्यूटी



माँ-बाप के साथ बाहर जाने मैं आए शरम
कहे आप घर मैं बैठो ,हो जाएगी "प्राब्लम"

बोले बेटा बड़े हो गये अब रचा लो शादी
कहा "डू नोट इंटर्फियर" ये उसकी आज़ादी

माँ बुन रही सपने की बहू आए संस्कारी
एक दिन ले आया मेम ,बोला ये है बहू तुम्हारी

वाइफ को रखे ठाट-बाट से करने दे आराम
बोले माँ इसे नही है आदत आप ही कर लो काम

बूढ़े माँ बाप रोते पर सब कुछ है सहते
सोच रहे इससे अचछा जो बेऔलाद ही रहते

एक बात बता रहा हू सुन खोल के कान
नही पायेगा सुख ,करके माँ-बाप का अपमान


डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा


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