आओ मिल कर दीप जलाएँ

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
आओ मिल कर दीप जलाएँ
जगती के सूने सीने में
नई उमंग जगाएँ
मंदिर में दीपक बाला हो, अंजुरी में महकी माला हो
धूप सुगंधित हर आला हो, गोधूली की मंगल वेला
दीपावली सजाएँ
थाली भर हों खील बताशे, अतिशबाजी खेल तमाशे
गीत गूज़री ढोल औ' ताशे, आम अशोक बाँध डोरी में
बंदनवार बनाएँ
दीवारों पर जगर मगर हो, ज्योतित जन तन मन अंतर हो
उत्सव-उत्सव घर बाहर हो, नव संवत की सुखद सुमंगल
शुभकामना मनाएँ
 
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