अल्लामा इकबाल

मस्जिद तो बना ली, शब भर में,
ईमाँ की हरारत वालों ने,
मन अपना पुराना पापी है,
बरसों में नमाज़ी बन न सका।

इकबाल बड़ा उपदेशक है,
मन बातों से मोह लेता है,
गुफतार का गाज़ी बन बैठा,
किरदार का गाज़ी बन न सका।
 
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